निपुण विद्यालय कैसे बनाएं
NIPUN( National initiative for proficiency in Reading with understanding and Numeracy)का मतलब समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल है। यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश में बच्चों की मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल में सुधार करना है। यह पहल कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों के पढ़ने, लिखने और गणित कौशल को बढ़ाने पर केंद्रित है, जिन्हें बाद के वर्षों में उनकी शैक्षणिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
NIPUN पहल के तहत, यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं कि सभी बच्चे पढ़ने और गणित में वांछित सीखने के परिणाम प्राप्त करें। इन उपायों में आयु-उपयुक्त शिक्षण सामग्री विकसित करना और वितरित करना, प्रगति पर नज़र रखने के लिए नियमित मूल्यांकन करना और पिछड़ रहे बच्चों को उपचारात्मक सहायता प्रदान करना शामिल है।
NIPUN पहल का उद्देश्य देश भर के स्कूलों में मूलभूत कौशल सिखाए जाने के तरीके में प्रणालीगत बदलाव लाना है। यह साक्ष्य-आधारित शिक्षण विधियों का उपयोग करने, सीखने की प्रक्रिया में माता-पिता और समुदायों को शामिल करने और शिक्षकों को अपने कौशल में सुधार करने के लिए निरंतर व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करने के महत्व पर जोर देता है।
NIPUN पहल को भारत सरकार के बड़े शिक्षा सुधार एजेंडे के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को समान और उच्च गुणवत्ता वाले सीखने के अवसरों तक पहुंच प्राप्त हो।

समस्त शिक्षक / शिक्षामित्र के दायित्व-
1) कक्षा 1,2,3 में आधारशिला क्रियान्वयन संदर्शिका आधारित शिक्षण करना एवम् दैनिक, साप्ताहिक शिक्षण योजनाओं का अनुपालन किया जाना।
2)सभी कक्षाओं (1-8) में संरचनात्मक शिक्षण अर्थात शिक्षण योजना / शिक्षक डायरी बनाकर शिक्षण करना ।
3) लर्निंग आऊट कम के सापेक्ष साप्ताहिक शिक्षण पूर्व डायरी का अभिलेखीकरण किया जायेगा। विषयवस्तु की आवश्यकतानुसार कक्षा शिक्षण में TLM प्रिन्टरिच मटेरियल व गणित किट का अनिवार्यतः प्रयोग किया जाएगा।
4)कक्षा को छात्र केन्द्रित बनाया जायेगा इसके लिए ध्यानाकर्षण माड्यूल में उल्लिखित 18 तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा।
5)रीडिंग कार्नर को सक्रिय रखने का दायित्व प्रत्येक कक्षाध्यापक का होगा तथा पुस्तकालय संचालन के लिए पुस्तकालय प्रभारी जिम्मेदार होगा।
6)प्रत्येक कक्षाध्यापक का दायित्व होगा कि अपनी कक्षा का आकलन ट्रैकर व निपुण तालिकाएं अपडेट रखें।
7)प्रत्येक शिक्षक / शिक्षामित्र प्रार्थना स्थल पर उपस्थित रहेगा, छात्र उपस्थिति नोट करेगा। प्रार्थना स्थल की साप्ताहिक योजना के अनुसार कार्य करेगा।
8)प्रत्येक कक्षा अध्यापक का दायित्व होगा कि वह अपनी कक्षा के अभिभावकों से संपर्क बनाए रखें तथा छात्र उपस्थिति के प्रति संवेदनशील रहे।
9) कक्षा शिक्षण में आईसीटी संसाधनों व दीक्षा एप, रीड एलांग एप, निपुण लक्ष्य एप का नियमित प्रयोग किया जाएगा।
10) प्रत्येक कक्षाध्यापक का यह दायित्व होगा कि वह अपनी कक्षा को निर्धारित समय सीमा में निपुण कक्षा बनाए ।

निपुण विद्यालय कार्ययोजना-
1) शैक्षणिक गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन :- कक्षा के समस्त छात्र-छात्राओं में निपुण लक्ष्य आधारित अधिगम दक्षता प्राप्त कराने के लिये शिक्षकों को कक्षा / उत्तरदायित्व का निर्धारण करना।
2)मैपिंग के आधार पर निपुण / औसत / छात्रों की पहचान करने के उपरान्त पुनरावृत्ति / उपचारात्मक शिक्षण की तैयारी।आधारशिला क्रियान्वयन संदर्शिका 2023-24 की साप्ताहिक कार्य-योजना के अनुसार प्रति कालांश शिक्षण कार्य।
3)दीक्षा एप का शिक्षण कार्य में प्रयोग शिक्षक एवं छात्र द्वारा नियमित रूप से किया जाये। छात्र द्वारा दीक्षा एप की सहायता से पाठ को स्कैन करके घर में भी निरन्तर अभ्यास में संलग्न रहने के लिये तैयार करना।
4)पुस्तकालय / रीड एलांग एप / सहज पुस्तक की सहायता से पठन कौशल का विकास और छात्रों में पढ़ने की रुचि जागृत करना। प्रिंटरिच मैटेरियल / टी०एल०एम० / चार्ट / पोस्टर का नियमित उपयोग करना।
5)विद्यालय नवाचार के संदर्भ में बच्चों को 4 टीम में बाँट देंगें विभिन्न प्रकार की L.O.(learning outcomes) प्राप्त करने हेतु गतिविधियां कराएं। जिससे बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत हो सके।
6)गतिविधियों का निरन्तर अनुश्रवण एवं आकलन- मैपिंग शीट / निपुण तालिका का साप्ताहिक अवलोकन निपुण लक्ष्य एप की सहायता छात्रों का स्पाट असेसमेंट विद्यालय में गतिमान शैक्षणिक गतिविधियों की समीक्षा / सुधारात्मक कार्य करना ।
7)समुदाय की सहभागिता एवं सहयोग- निपुण लक्ष्य को जन-आन्दोलन बनाने के लिये विद्यालय प्रबंध समिति / अभिभावक शिक्षक समिति को सहयोग के लिये प्रेरित करना।जनप्रतिनिधियों, ग्राम प्रधान, सदस्य एवं सम्मानित जन-समुदाय को लक्ष्य से जोड़ने के लिए व्यक्तिगत मिलकर निपुण लक्ष्य से अवगत कराना।
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